Lord vishnu |
आप सभी ने यह गौर किया होगा कि विष्णु भगवान की पूजा करते समय एक काले पत्थर की भी पूजा की जाती है और इसको सत्यनारायण की पूजा में अवश्य शामिल किया जाता है। जानना चाहते है ऐसा क्यों होता है।
दरअसल इस पत्थर का नाम शालीग्राम है जो विष्णु भगवान को दिए गए श्राप का परिणाम है।
एक समय की बात है जालंधर नामक एक पराक्रमी असुर था जो शिवजी की तीसरी आँख से उत्पन्न हुआ था क्योंकि उसकी उत्त्पति शिव से हुई थी तो वह बहुत शक्तिशाली भी था।
उसका विवाह वृन्दा नामक कन्या से हुआ जो विष्णु भगवान की परम भक्त थी और उनके पतिव्रता कर्म की वजह से वह असुर अजय हो गया था। इसने एक युद्ध में शिव भगवान को भी हरा दिया था।
देवलोक में सभी देव इसके आतंग से परेशान थे।दुखी होकर सभी देव भगवान विष्णु के पास गए और असुर के आतंग को समाप्त करने की प्राथना की क्योंकि उसको तभी हराया जा सकता था जब उसके पतिव्रता धर्म को नष्ट किया जाए।
अपने पति की लंबी आयु के लिए वृन्दा पूजा पाठ किया करती थी । देवो के सात युद्ध के समय भगवान विष्णु ने ही जलंधर का रूप धारण किया और वृन्दा के पास गए उन्हें देखते ही वृन्दा ने अपना यज्ञ बंद कर दिया। ऐसा होते ही युद्ध में जलंधर की शक्तियां कम हो गई और वह युद्धभूमि में मारा गया।
लेकिन वृन्दा को छूते ही विष्णु भगवान का छल सामने आ गया और क्रोध में वृन्दा ने उन्हें पत्थर बने रहने का श्राप दे दिया।
अपने भक्त वृन्दा के सात छल के कारण विष्णु भगवान लज्जित थे तो उन्होंने वृन्दा के श्राप को जीवित रखने के लिए अपना एक रूप पत्थर के रूप में प्रकट किया जो शालिग्राम कहलाया। भगवान ने कहा कि तुम अगले जन्म में तुलसी के रूप में पैदा होगी और तुम्हारा स्थान मेरे शीष पर होगा,तुम्हारे बिना में पृथ्वी लोग पर भोजन ग्रहण नही करूँगा,तुम मेरी अत्यंत प्रिय रहोगी।
इसीलिए तभी से विष्णु भगवान की पूजा में तुलसी को अवश्य शामिल किया जाता है।यही तुलसी भगवान के प्रसाद मैं डाली जाती है और इसके बिना भगवान भोजन ग्रहण नही करते।
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