1 सत युग: यह सर्वाधिक शुद्ध काल है ।इसकी आयु 1,72,800 साल बताई गई है।
इस युग को सबसे ज्यादा शुद्ध माना गया हैं क्योंकि सारे साधु-संत इस युग में ही जन्मे है।
2 त्रेता युग : इस काल में राज्य शासन आया जहां एक राजा और उसकी प्रजा का अस्तित्व सामने आया ।इस काल में ही श्री राम का जन्म हुआ था।इसकी आयु लगभग 1,29,000 वर्ष बताई गयी है।
3 द्वापर युग: सृष्टि के इस काल मैं
कई बुराईयाँ जन्म ले चुकी थी।इस युग में महाभारत के युद्ध की शुरुआत हुई थी।इसकी आयु 4,86,4000 वर्ष मानी गयी है
4 कलियुग: यह आज का युग है। जब बुराईयाँ अपने चरम पर होगी भगवान विष्णु इस युग में ही कल्कि अवतार में जन्म लेंगे और बुराई का अंत करेंगे ।कहा जाता है कि सृष्टि का अंत भी इसी युग में होगा फिर उसके बाद सत युग दुबारा आएगा।
इस युग की आयु 4,32,000 साल मानी गयी है।
आईये आपको ले चलते है त्रेता युग में जहां रामायण जैसे महागाथा को देखा गया था। इसी युग में हनुमानजी का जन्म हुआ था।
हनुमान को रामायण मे एक वानर के रूप में दिखाया गया है पर इसका अर्थ बंदर नही है यह हम लोगो की एक गलतफेमी है कि हम वानरों को बंदर समझ लेते है ।दरअस्ल वानर का अर्थ है वन में रहने वाला ।
वा=वन नर=मनुष्य
वानर एक संस्कृत शब्द है इसीलिए लोग इसे बंदर मान लेते है। इस तरह के वानर उस समय म्यानमार, मलेशिया और इंडोनेशिया में रहते थे। उस समय हुमोसेपीएन्स यानी हम सभी
अकेले बुद्धिजीव नही थे बल्कि वानर जैसे बुद्धि जीव भी हमारे बीच आ चुके थे। उस समय कुछ ऐसे भी जीव थे जो मनुष्य से बुद्धिमान और अति बलशाली थे जैसे महाराजा सुघ्रिव और बलि। यह वानर गुफाओं में रहते थे और बोल भी सकते थे ।वह इंसानो के सात रहते और प्रवास करते थे।खोजकर्ताओं के अनुसार इस तरह के जीव अक्सर यूरोप, अफ़्रीका और पश्चिमी एशिया में निवास करते थे।रामायण के अनुसार वानर पूरी धरती पर पाए जाते थे लेकिन उनकी सबसे ज़्यादा संख्या किष्किन्धा में थी।जब राम भगवान रावण से लड़ने निकले तो वानरों के राजा सुघ्रिव ने ही सभी वानरों को एक सात किया था। आज के विज्ञान दुआरा किये गए अध्ययन के बारे में जानेंगे तो पता चलेगा कि वह गुफाओं में रहते थे और यह पाया गया है मनुष्य और वानर एक सात रहते थे और ब्रीडिंग किया करते थे इसीलिए आज भी हमारे डीएनए में वानर जैसे गुण है जैसे शरीर पर बाल,सिर पर बाल आदि। और अगर हम रामायण देखे तो वहाँ भी मनुष्यों का वानर के सात विवाह होने का उल्लेख मिलता है।
जैसे सुग्रीव और बलि दोनो ही वानर थे पर उनकी पत्नियों को कोई भी पूँछ नही थी न ही उन्हें वानरों की तरह दिखाया गया है। वाल्मीकि रामायण में कहा गया है कि हनुमान
ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अर्थवेद के ज्ञानी थे और संस्कृत और व्याकरण भी अच्छी तरह जानते थे।आज का विज्ञान रामायण को काल्पनिक मानता है। लेकिन हमारे थेओरी ऑफ़ इवैल्यूएशन के अनुसार आज मानव जो इतना बुद्धिमान और श्रेष्ट है वो उन्हीं वानरों के डीएनए के कारण ही है।
तो सवाल यह उठता है कि अगर हनुमान इतने ही बुद्धिमान तो आज वह कहा है? और त्रेता युग के बाद वह कहा गए।इसका जवाब हमे महाभारत के द्वापरयुग में मिलता है।
पहला प्रमाण तब मिलता है जब बलशाली भीम जंगल में जाते है और उन्हें जमीन पर एक अधेड़ उम्र का वानर ज़मीन पर पड़ा मिलता है और भीम उससे कहते है कि वानर मेरे रास्ते से हठ जा पर वानर उनसे कहता है कि अब मुझमे इतनी ताकत नहीं कि मैं उठ सकू आप ही मुझे उठा दे।
भीम बहुत कोशिश करते है पर उसकी पूँछ तक नही हिला पाते और उसके बाद हनुमान उन्हें दर्शन देते है और अपनी शक्ति का घमंड छोड़ने का सन्देश देते है।
दूसरा प्रमाण हमे महाभारत के युद्ध तब मिलता है जब अर्जुन के रथ पर सतरंगी झंडा लहराता हुआ दिखाई देता है
उस झंडे पर बजरंगबली का चित्र दिखाई पड़ता है युद्ध के अंत में श्रीकृष्ण कहते है कि ये हनुमान ही थे जिनकी वजह से तुम्हारा रथ इतने खतरनाक हथियारों का भार झेल पाया नही तो युद्ध विजयी करना असंभव था।
तीसरा पहलू बहुत ही दिलचस्प है। आपने बरमूडा ट्राइएंगल के बारे में तो सुना ही होगा।इस ट्राइएंगल का नाम इसीलिए मशहूर क्योंकि यहाँ से कोई भी जहाज, प्लेन, और शिप गुज़रता है तो उसे एक अदृश्य दवाब नींचे खींच लेता है।अगर आप बरमूडा ट्रायंगल के बारे में जानना चाहते है तो गूगल कर सकते है।दरअसल यह जगह कई हादसों का कारण है और रामायण युग में इसका वर्णन है।रामायण में बताया गया है कि जब हनुमान सागर के ऊपर उड़कर सीता माता से मिलने जा रहे तो एक राक्षसी ने उनका रास्ता रोकने के लिए उनकी परछाई को अपने वश में कर लिया और उन्हें सागर की गहराई में खींचने की कोशिश की।
यह राक्षसी जिसका नाम सिंहिका है ,उसके पास किसी भी की परछाई को काबू में करने के शक्ति थी ।जैसे ही हनुमान की परछाई सागर के ऊपर पड़ी तभी उसने उन्हें नींचे खींचने का प्रयास किया पर हनुमान बहुत बलशाली थे उन्होंने उसका वध कर दिया।पर आज भी माना जाता है कि वो राक्षसी
आज भी वहां मजूद है जिसे आज फ्लोरिडा और बरमूडा के नाम से जाना जाता है। आप नीचे देख सकते है कि यह ट्रायंगल कैसे बना।
आज का विज्ञान भी महाभारत के तथ्यों को झुठला नही सकता ।
नीचे कुछ महाभारत से जुड़े तथ्य दिए गए है।
रावण की लंका का इस्नान ग्रह का दृश्य जो श्रीलंका में है
संजीवनी बूटी का पहाड़
श्रीलंका में मजूद हनुमान के पैरों के निशान
अशोक वाटिका जहाँ रावण ने सीतामाता को रखा था
रावण का महल
सुग्रीव का कंदरा
इसी तरह आखिर में जब राम भगवान के सारे कर्म पूरे हुए तो उन्होंने अपना देह त्याक कर दिया और वापस बैकुंठ लौट गए।उससे पहले सीतामाता ने हनुमान को अमरता का वरदान दिया । और कहा जाता है कि आज भी हनुमानजी को देखा गया है ।तुसली दास ,श्री सत्यसाई बाबा और बौद्ध जी ने भी हनुमान को देखे जाने की बात को माना है।
और कहा जाता है कि आज भी हनुमान के कलियुग में होने के प्रमाण मिलते है क्योंकि वही है जो अमर है और जब भी कल्कि अवतार प्रकट होंगे तो हनुमान उनके सात होंगे।
जाय बजरंबली।।।।।
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